Stress, tension, चिंता, तनाव
जब कोई विचार, एक निश्चित स्तर से आगे बढ़ जाता हैं, तो उसे चिंता कहते हैं।
एक बहुत पुरानी कहावत है कि
"चिंता चिता के समान होती है"
चिंता (stress) करने से कुछ नही होता ओर अनजाने में हम बहुत सी बीमारियों को निमंत्रण दे देते है इसलिए जहां तक हो सके स्ट्रेस फ्री रहे।कभी कभी हम जिन बातो की tension लेते है असल में बो उतनी बडी होती नही है जितने का हम stress ले लेते है।
स्ट्रेस लंबे वक्त तक रहे तो आपको
• एंग्जाइटी,
• डिप्रेशन,
• पैनिक अटैक हो सकते हैं।
• सिर दर्द या मांसपेशियों में दर्द
• अगर आपके सोने और खाने के पैटर्न में बदलाव हो रहा है तो हो सकता है कि आप चिंता या तनाव में हों।
• इसके अलावा थकान या शरीर में कमजोरी भी स्ट्रेस का लक्षण है।
• हेल्थी रहने के लिए आपका स्ट्रेस फ्री रहना जरूरी है।
स्ट्रेस हार्मोन
जब हम ज्यादा चिंता करते है तो हमारा शरीर कॉर्टिसॉल और एड्रिनल नामक हार्मोन स्त्रावित करता है। जिन्हे स्ट्रेस हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है।
कॉर्टिसॉल और एड्रिनल हॉर्मोन्स का काम ही यही है कि वो ब्लड शुगर को बढ़ा देता है, बढ़े हुए हार्ट रेट के लिए ऑक्सीजन सप्लाय बढ़ाता है, मांसपेशियों की कोशिकाओं तक ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचाकर उन्हें तत्काल एक्टिवेट करता है ताकि हम विपरीत स्थिति का मुकाबला कर सकें। इसलिए ये दोनों स्ट्रेस हॉर्मोन हमारे दोस्त हैं।
लेकिन लगातार लंबे समय तक तनाव में रहने और इन दोनों हॉर्मोन्स के लगातार रिलीज होने का परिणाम गंभीर बीमारियों के रूप में भी सामने आ सकता है।
ठीक वैसे ही, जैसे कभी किन्हीं खास परिस्थितियों में अपने बचाव के लिए हथियार उठा लेना तो ठीक है, लेकिन अगर हर वक्त हथियार आपके हाथ में रहे तो यह आपके लिए एक समस्या हो जायेगी।
इस तरह ही आपका दिमाग एक साधारण विचार से चिंता और अत्यधिक सोच में चला जाता हैं:
• किसी भी बात के शुरू होने पर पहले तो हम उसके फायदे और नुकशान के बारे में सोचते है।
• अगर उस बात से नुकशान होता दिखे तो उससे दुःख उत्पन्न होता हैं।
• जब यह बदला हुआ विचार, लगातार जारी रहता हैं, तो घुटन होने लगती हैं।
• विचार अगर ऐसे ही परेशान करते रहें, तो चिंताएँ पैदा होंगी।
सावधान रहना और चिंता करने में बहुत फर्क है| सावधान रहना मतलब जागृत होना और चिंता मतलब विचारो को गहराई से सोचते रहना, जो आपको भीतर से खा जाती हैं।
• विश्लेषण करें कि क्या आपकी चिंताएं स्वयं आमंत्रित हैं या एक वास्तविकता है? उदाहरण के लिए, जब आप इस बारे में चिंता करते हैं कि लोग क्या सोचेंगे और आप उनकी अपेक्षाओं के अनुकूल होने की कोशिश करेंगे, तो यह एक स्व-आमंत्रित चिंता है।
• चिंता किसी समस्या का समाधान नही है, इसके बजाय समस्या के समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित करें।
• यदि आप कोई समाधान नहीं ढूंढ पा रहे हैं, तो अपने शुभचिंतक से सलाह लें। अपने किसी बडे से बात करें क्योंकि उन्हे आप से ज्यादा तज्रुबा है।
• अपने काम पर ध्यानकेंद्रित करे, नही तो यह न केवल आपके वर्तमान, बल्कि आपके भविष्य को भी बर्बाद कर देगा।
• अगर चीजें आपके नियंत्रण से बाहर हैं और आप उसका समाधान नहीं कर सकते हैं, तो जब हम कुछ कर ही नही सकते तो फिर चिंता भी क्यों करें?
• सकारात्मक बने रहें और प्रयास करते रहें।
अगर आपको भी चिंता करने की या स्ट्रेस लेने की आदत है तो घबराएं नहीं इन मजेदार तरीकों से कम करें:
• हम सब के पास कुछ लोग ऐसै जरूर होते है जिनसे बात करके हम अपनी सारी परेशानियां भूल जाते है तो आगे से जब भी चिंता (Stress) हो तो लोगो से बात करें और अपने Stress को गायब करे।
• आप मेडिटेशन करें।मेडिटेशन से आपका मन शांत होता है। इसके साथ ही ये डायबिटीज, मोटापे और कैंसर जैसी कई सारी बीमारियों से निजात दिलाता है।
• बॉडी में इस हार्मोन का लेवल सबसे ज्यादा सुबह के समय होता है इसलिए सुबह के समय हमें अधिक भूख लगती है। इसको कम करने का उपाय काॅफी लोकप्रिय है और हर किसी को पसंद आता है। सुबह-सुबह की कॉफी या भोजन के साथ एक कप कॉफी इस हार्मोन लेवल को कम करने में मदद करेगी जिससे आपको भूख कम लगेगी।
• पालतू जानवरों के साथ खेलना आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। तो, जब आपका कोर्टिसोल बढ़े और आपको स्ट्रेस महसूस करें, तो अपने पालतू जानवर के साथ समय बितायें।
• हंसना लाख दुखों की एक दवा है, पर ऐसा भी न करें की फालतू ही हंसने लगें। हंसी की बजह ढूंढे, जैसे कि बच्चो के साथ खेले, कोई ऐसा काम करें जिससे आपको खुशी हो।
• मसाज तनाव व अन्य परेशानियों को दूर करने का सबसे असरदार तरीका माना जाता है। सही मसाज ना केवल आपकी मसल्स को राहत पहुंचाती है, बल्कि इसके साथ-साथ नर्वस सिस्टम को भी सही रखने में हेल्प करती है। इससे आपकी बॉडी बीमारियों और अन्य परेशानियों के प्रति खुद को ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार कर पाती है।
• योग और डांस ना केवल आपकी बॉडी को हेल्दी रखते हैं, बल्कि आपके मेंटल हेल्थ का भी खयाल रखते हैं। ये आपके हीलिंग हार्मोन को बढ़ाते हैं और साथ ही कोर्टिसोल के लेवल को कम करने में हेल्प करते हैं।
• कहते हैं जब आप मुश्किल में हों, तो सिर्फ अपनी हेल्प करने से काम नहीं बनता। कई बार आपको दूसरों की मदद करनी चाहिये। इससे आपको काफी फायदा होता है। जब आप दूसरों के लिए कुछ करते हैं, तो आपको अंदर से खुशी मिलती है। किसी को कुछ देने या किसी के लिए कुछ करने से ब्रेन को शांत करने वाले हार्मोन स्रावित होते हैं और कोर्टिसोल का लेवल कम हो जाता है।
• अकेले रहने वाले महिलाओ को दिल की बीमारी होने का खतरा उन महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा होता है, जो अकेले नहीं रहते। इसलिए आप अकेले रहने से बचें।
• अपने आप से पूछें कि इस समस्या का समाधान करने के लिए आपको क्या करने की जरूरत होती है। अगर आपके भीतर से आवाज आए कि नौकरी या रिलेशनशिप ही आपकी परेशानी की असल वजह है तो आपको उस पर पर पूरी तवज्जो देनी चाहिये। सही मायनों में यही आपकी बीमारी की असल दवा है। जो आप करना चाहते है वो जरूर करें बिना किसी की परवाह किये।
• इन मजेदार और आसान टिप्स को अपनाकर आप भी अपने स्ट्रेस हार्मोन के लेवल को कंट्रोल कर सकती हैं।
Bahut sahi
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